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मकर संक्रांति: फसल, आभार और नए आरंभ का पर्व

मकर संक्रांति भारत के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जिसे पूरे देश में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह पर्व सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का प्रतीक है। मकर संक्रांति न केवल कृषि समृद्धि का उत्सव है, बल्कि यह आध्यात्मिक चिंतन और सांस्कृतिक परंपराओं का भी प्रतीक है।

मकर संक्रांति का महत्व

मकर संक्रांति का भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व है। यह सूर्य के उत्तरायण (उत्तर दिशा में गमन) का आरंभ है, जिसे शुभ माना जाता है। इस खगोलीय परिवर्तन को सकारात्मकता, आशा और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस दिन सूर्य देव, जो जीवन और ऊर्जा के स्रोत माने जाते हैं, की आराधना की जाती है।

यह पर्व कृषि से भी जुड़ा हुआ है। किसान अपनी मेहनत की फसल का उत्सव मनाते हैं और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करते हैं।

विभिन्न क्षेत्रों में मकर संक्रांति का उत्सव

मकर संक्रांति भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग तरीके से मनाई जाती है:

  • पंजाब में इसे लोहड़ी के रूप में मनाया जाता है, जिसमें अलाव जलाए जाते हैं, लोकगीत गाए जाते हैं और नृत्य किया जाता है।
  • तमिलनाडु में इसे पोंगल कहा जाता है। यह चार दिवसीय पर्व है, जिसमें खास पकवान पोंगल तैयार किया जाता है और पशुधन का सम्मान किया जाता है।
  • गुजरात में यह पर्व पतंगबाजी के लिए प्रसिद्ध है। आसमान में रंग-बिरंगी पतंगों का अद्भुत नज़ारा देखने को मिलता है।
  • महाराष्ट्र में लोग तिलगुल (तिल और गुड़ से बने मिठाई) बांटते हैं और कहते हैं, “तिलगुल घ्या, गोड गोड बोला,” जो क्षमा और सौहार्द का प्रतीक है।
  • पश्चिम बंगाल में गंगा सागर मेले का आयोजन होता है, जहां श्रद्धालु गंगा नदी में डुबकी लगाकर पूजा करते हैं।

मकर संक्रांति 2025: तारीख और समय

वर्ष 2025 में मकर संक्रांति मंगलवार, 14 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन सूर्य दोपहर 3:03 बजे मकर राशि में प्रवेश करेगा। इस शुभ समय को पुण्य काल कहा जाता है, जिसमें स्नान, पूजा और दान का विशेष महत्व होता है।

परंपराएं और रीति-रिवाज

  1. पतंगबाजी: मकर संक्रांति का एक प्रमुख आकर्षण पतंगबाजी है, खासकर उत्तर और पश्चिम भारत में। लोग छतों पर इकट्ठा होकर एक-दूसरे की पतंग काटने की प्रतियोगिता का आनंद लेते हैं।
  2. अलाव और भोज: अलाव जलाना, पारंपरिक भोजन तैयार करना और तिलगुल जैसे मिठाई बांटना उत्सव का अहम हिस्सा हैं।
  3. पवित्र स्नान और दान: गंगा, यमुना और गोदावरी जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने से आत्मा की शुद्धि होती है। दान-पुण्य करना, जैसे भोजन, वस्त्र या धन दान करना, इस दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
  4. सांस्कृतिक उत्सव: इस दिन मेले, सांस्कृतिक कार्यक्रम और सामाजिक समारोहों का आयोजन होता है, जो हर्ष और एकता का प्रतीक है।

संक्रांति की शुभकामनाएं

त्योहारों का असली आनंद अपनों के साथ जुड़ने और खुशियां बांटने में है। संक्रांति की शुभकामनाएं देने का चलन भी इसी भावना को व्यक्त करता है। कुछ संदेश जो आप अपने प्रियजनों को भेज सकते हैं:

  • “आपको और आपके परिवार को मकर संक्रांति की ढेरों शुभकामनाएं! यह पर्व आपके जीवन में सुख और समृद्धि लाए।”
  • “मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं! यह त्योहार आपके जीवन को प्रकाश और खुशियों से भर दे।”
  • “तिलगुल घ्या, गोड गोड बोला! मकर संक्रांति का पर्व आपके जीवन में मिठास और आनंद लाए।”

मकर संक्रांति का संदेश

मकर संक्रांति केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने और नए आरंभ को अपनाने का प्रतीक है। यह हमें आपसी एकता, दया और सकारात्मकता का महत्व सिखाता है। जैसे ही मकर संक्रांति 2025 का आगमन हो, आइए इन परंपराओं और संदेशों को हर्षोल्लास के साथ आगे बढ़ाएं।

आपको और आपके परिवार को मकर संक्रांति की शुभकामनाएं!


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